Thursday, October 4, 2007

The Pot


Sara, VID 3rd October 2007

4 comments:

Reyaz-ul-haque said...

सब तसवीरें अच्छी हैं.
कितना अच्छा बनाती हो तुम लोग.
अच्छा लगा.

Reyaz-ul-haque said...

अगली पोस्ट के लिए कब तक इंतज़ार करना पडे़गा? जल्दी डालो कुछ.

और क्या तुम्हारी (तुम दोनों की) कविताएं, पेंटिंग्स अखबार में छाप सकता हूं? कुछ रोजा पर लिखो और ईद कैसे मनायी, यह भी.)

manjula said...

हैलो फराह और सरा

मुझे अापका बनाया पेंटिग अच्‍छा लगा. क्‍या आप मेरी दोस्‍त बनेंगी. मेरा नाम विपाशा है


(हैलो बच्‍चो यह मैसेज मेरी बेटी विपाशा ने भेजा है आप लोगों के लिए उसने आपके ब्‍लाग में यह पेंटिंगस देखी थी. आपको मेरी तरफ से नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं)
मंजुला

दीपा पाठक said...

तुम दोनों ने बहुत ही सुंदर पेंटिंग बनाई हैं और कविताएं भी बहुत अच्छी लगी। मेरा नाम दीपा है मेरी एक बेटी है जिसका नाम वन्या है और वह साढ़े चार साल की है, अभी तो सो रही है लेकिन कल मैं उसे तुम्हारी कविताएं और चित्र जरूर दिखाऊंगी। उसे भी चित्र बनाना बहुत पसंद है। गागू के जन्मदिन पर सबको रिर्टन गिफ्ट क्या दिया था?