भंवरा है एक काली मक्खी
उड़ती है घन-घन करके
जाल में है फंस जाती
कमल का है रस चूसती
कभी इधर तो कभी उधर
कमल में है सो जाती
भंवरा है एक काली मक्खी
भंवरा है एक काली मक्खी.
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फ़राह,II-F 21 सितंबर 2007
उड़ती है घन-घन करके
जाल में है फंस जाती
कमल का है रस चूसती
कभी इधर तो कभी उधर
कमल में है सो जाती
भंवरा है एक काली मक्खी
भंवरा है एक काली मक्खी.
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फ़राह,II-F 21 सितंबर 2007
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